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घिसीपीटी कहानी, घिसेपिटे मुद्दे और कह रहे है 'शादी में जरूर आना' (स्टार 2 /5 )

     इस तरह की कहानी हाल ही में आई फिल्म बद्रीनाथ की दुल्हनिया में देख ही चुके हैं, कहानी वही घिसी पीटी लड़की काफी पढ़ी लिखी और लड़का कम, यहाँ थोड़ा बदलाव किया हैं, और शादी में जरूर आ सकते हैं या नहीं करते है फिल्म की समीक्षा.......
फिल्म     : शादी में जरूर आना
श्रेणी       : फैमिली ड्रामा
निर्देशक   : रत्ना सिन्हा
निर्माता    : विनोद बच्चन, मंजू बच्चन और कलीम खान
स्टार         : 2/5 स्टार
कास्ट        : राजकुमार राव और कीर्ति खरबंदा
संगीत        : आनंद राज आनंद और आर्को
    बात करते हैं कहानी कि  सतेन्द्र/सत्तू (राजकुमार राव) और आरती शुक्ला (कीर्ति खरबंदा) की कहानी है । सत्तू  क्लर्क की नौकरी सरकारी खाते में लग गई हैं, और उसके रिश्ते की बात आरती शुक्ला से चल रही हैं, आरती ने सिविल सर्वसिज का एक्जाम दिया है। दोनों के घरवाले उनकी एक दूसरे से अरेंज मैरिज करवाना चाहते हैं। शादी के चलते दोनों एक दूसरे से रेस्त्रां में मिलते है दोनों डिसाइड करते हैं कि वो दोनों शादी कर सकते हैं। लेकिन शादी के दिन आरती भाग जाती है। इस बात से सत्तू को काफी दुख होता है।यहाँ मध्यांतर हो जाता और मध्यांतर के बाद  कहानी सीधे 5 साल आगे बढ़ जाती है। जहां सत्तू IAS ऑफिसर और आरती PCS ऑफिसर बन जाती हैं। अब कहानी में ट्विस्ट आता हैं  आरती के उपर ३ करोड़ रिश्वत लेने का आरोप लगा होता  हैं और सत्तू उस केस की जांच करता है। तो क्या सत्तू आरती पर लगे आरोप को सच / झूठ साबित करता हैं या वह बदला लेता हैं इन सब के लिए आपको शादी में आना पड़ेंगा | 
     बात करते हैं निर्देशन कि रत्ना सिन्हा बतौर डायरेक्टर ये उनकी पहली फिल्म है। बेशक कई मुद्दों को उठाने की एक अच्छी कोशिश की हैं, पर शादी की सजावट में मुद्दों से भटकती नज़र आई , फिर दहेज़ प्रथा हो, या लड़कियों की शिक्षा और जॉब की बात हो, इंटरवल के बाद सीन को खूब खींचा गया, यहाँ तक क्लाइमैक्स तक ठीक से सवांरने में कामयाब नहीं हो पाई  | 
    बात करते है अभिनय कि राजकुमार राव ने दिखा दिया की उसे जो भी किरदार मिले उसे घोलकर कैसे पीते हैं, दमदार अभिनय नज़र आया राजकुमार का फिर वह लवर  का हो या ऑफिसर का  कीर्ति खरबंदा ने ठीकठाक ही अभिनय किया | इसके साथ ही फिल्म के बाकी को एक्टर्स ने भी काफी अच्छी एक्टिंग की है।
       बात करते हैं संगीत कि फिल्म के संगीत पर लगता हैं बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया, जबकि फिल्म में इसकी आवश्यकता थी, गाने भी इतने कर्ण प्रिय नहीं हैं, हा फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक ठीक हैं  |
शादी में जरूर आना देखे न देखे फरक नहीं पड़ेगा, कुछ दिन का इंतज़ार करे और टेलीविज़न पर देख लेना | 
 
पुष्कर ओझा